Monday, March 25, 2019

गरीबो को जरूरत है सहयोग की 
- रामप्रकाश वर्मा
- Ramprakash Verma


कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी ने सोमवार को नई दिल्ली में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के माध्यम से ये घोषणा की कि" 2019 में कांग्रेस की सरकार आने पर पूरे देश मे ,न्याय योजना’ लागू की जायेगी ! भले ही लोकसभा चुनाव को दृष्टिगत रखते हुए राहुल गांधी ने राजनैतिक लाभ के लिए न्यूनतम आय योजना का ऐलान किया हो मगर राजनीति से हटकर इस पर बात की जाये तो इस तरह के योजना की भारत जैसे देश मे बहुत ज्यादा आवश्यकता है हम बहुत तटस्थ,निष्पक्ष ढंग से इस पर चिंतन करते है तो पाते है कि देश का सैकड़ो करोड़ रुपया बिचौलियों व दलालो के चक्कर मे पानी में प्रति वर्ष चला जाता है जिसका कही कोई हिसाब किताब नही होता है राशन वितरण प्रणाली के नाम पर पूरे देश मे कैसी धांधली होती है ये बात किसी से भी छुपी हुई नही है ये योजना चलती तो है गरीबो के लिए परंतु इसका लाभ देश के तमाम धन्ना सेठो को मिलता है.अगर सभी गरीबो तक राशन पहुँचता तो देश मे भूखमरी से आज इतनी मौते न होती ! इस योजना पर कुछ तथाकथित बुद्धिजीवियों के दिमाग मे  कीड़ा कुलबुलाने लगेगा कि बगैर काम के साल का 72 हजार इससे तो लोगो मे काम के प्रति अकर्मण्यता आयेगी तो आप लोग जरा देश के पूरे भौगोलिक क्षेत्र पर नजर डालते हुए उन गरीब असहायों परिवारों पर भी नजर दौड़ा लेना परिस्थिति जन्य जिनके परिवार में कोई सदस्य कमाने वाला ही नही है और अगर है भी  तो हमारे यहाँ मेट्रोपोलिटन सिटी छोड़कर पिछड़े क्षेत्रों में रोजगार की कोई समुचित व्यवस्था आज भी नही है कमाने के लिए दिल्ली,मुम्बई, कोलकाता,सूरत आदि देश के बड़े महानगरों में भागना पड़ता है जो सबके लिए सम्भव भी नही है ! तमाम बेबस परिवार ऐसे है जहाँ सिर्फ बीमार बुजुर्ग ही है बाकि कोई कमाने वाला नही जरा कल्पना करें इस तरह के परिवारों के लिए ये योजना संजीवनी की तरह कार्य करेगी लाखो लोग भूख से नही मरेंगे इस योजना में घपलेबाजी की भी आशंका कम ही है क्योंकि गरीब परिवारों को इससे सीधा लाभ मिलेगा उनके बैंक खाते में  रकम जायेगी! मैं तो बगैर लाग लपेट के खरी खरी यही कहूँगा कि अगर ये या इस तरह की अन्य कोई योजना आने वाले समय मे लागू होगी तो निश्चित तौर पर भारत वर्ष के लाचार, बेबस,असहायों,गरीबो के लिए वरदान साबित होगी ! जिस देश की गरीब जनता भूख से तड़प रही हो वो देश कभी शक्तिशाली नही सकता अपने "मियां  मिट्ठू" तो सभी बन लेते हैं !

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